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तू ना जाने,,
मेरी चाहत किसके लिए है
तू ना जाने,,
मेरी चाहत किसके लिए है
बस महसूस कर, और नज़र आ जाएगी ||
तेरा चेहरा तो मुझे आज भी याद है
क्यों कि जब भी मैं आँखें बंद करता हूँ
अफसोस
वह नजर आ ही जाता है ||
जब भी मैंने तुझे चाहा तो तुझे अपना बना के चाहा ,
मैंने हर पल तुझे अपनी चाहत से चाहा,
क्या तारीफ करूँ मैं तेरी खूबसूरती की
बस इतना कह सकता हूँ ,
तुझे जब भी चाहा तो अपने दिल से चाहा
जब कभी भी मैं तेरे बारे मैं सोचता हूँ ना ,
तब तू नहीं, मुझे तेरी तन्हाई याद आती है ||
करूँ मैं कितनी चाहत, तेरी,इस जहान मैं,,
तेरी खूबसूरती के आगे तो, तेरी चाहत भी कम है ||
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