Tuesday, 14 November 2017

Broken HEART SHAYARI

            WELCOME TO DIL Ke PAaS 
⇄↹यहाँ मिलेगा आपको शायरियोँ का समन्दर ↹⇄









कभी कभी सोचता हूँ , 
चाँद  की बजाय मैं तुझे ही देख लूँ| 
लेकिन क्या करूँ,
पूर्णिमा से   पहले ये निकलता ही नहीं || 





 देखने की अक्सर चाहत बनता हूँ अपने दिल मैं ,... 
लेकिन  तेरी यादें हर पल भटकाती रहती हैं || 




इस जहान मैं याद करूँ तो क्या -  क्या करूं। . 
 क्यों कि  तेरे बिना मुझे और कुछ याद आती ही नहीं ||  





अब तक लगता था मुझे तेरी आवाज़ से  शादिगी थी।| 
लेकिन अब तो ,  
मुझे तुझसे मोहब्बत होती जा  रही है || 
  



 कैसे ना कहूँ , मुझे जीने की चाहत है तेरे साथ 
क्यों कि चाहत भी तू ही है और जीने की बजय भी   

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